हिंदी विभाग आपका स्वागत करता है

देवगिरी महाविद्यालय की स्थापना 1960 में हो गई और महाविद्यालय की स्थापना के साथ-साथ हिंदी विभाग भी 22 जून, 1960 से शुरू हो गया। देवगिरी महाविद्यालय का हिंदी विभाग, विभाग के प्राध्यापक और छात्र विभिन्न क्षेत्रों में अपना योगदान दे रहे हैं। डॉ. भगतसिंह राजुरकर महाविद्यालय के हिंदी विभाग से होकर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय के कुलपति पद तक पहुंचनेवाली महान् हस्तियों में से एक हैं। डॉ. भगतसिंह राजुरकर के अलावा डॉ. बी.सी. तेलंग, डॉ. काशिनाथ मिश्र, डॉ, सरदारसिंग सूर्यवंशी, प्रा. विनायक सोळंके, डॉ. बलभीमराज गोरे, डॉ. सुकुमार भंडारे, डॉ. बळीराम धापसे, डॉ. अमोल पालकर आदि प्राध्यापक समीक्षा और अनुवाद के क्षेत्र में अलग छाप छोड चुके हैं; इनमें से कई प्राध्यापक विश्वविद्यालय अध्ययन मंडल के सदस्य और अध्यक्ष के नाते अपना योगदान दे चुके हैं। प्राचार्य डॉ. शिवाजी देवरे, डॉ. अनिता राजुरकर, डॉ. कमल सूर्यवंशी, डॉ. शकुंतला पांचाल आदि महाविद्यालय के प्रसिद्ध छात्रों में से एक रहे हैं जो आगे चलकर अपने ज्ञान के फलस्वरूप छाप छोड चुके हैं। डॉ. भगतसिंह राजुरकर के कुशल नेतृत्व में मराठवाडा साहित्य सम्मेलन (1976) सफलता के साथ सपन्न हो चुका है। डॉ. काशिनाथ मिश्र का विश्व हिंदी सम्मेलन, नागपुर (1974) के लिए सदस्य के नाते चुनाव होना विभाग के लिए गर्व की बात है। वर्तमान में डॉ. रंजना चावडा, डॉ. विजय शिंदे और डॉ. सुलक्षणा जाधव हिंदी विभाग में कार्यरत है।

देवगिरी महाविद्यालय के हिंदी विभाग में निम्नलिखित पाठ्यक्रम पढाया जाता है और मार्गदर्शन किया जाता है।

  1. बी.ए.
  2. एम्.ए.
  3. पीएच्.डी.

अध्ययन-अध्यापन और मार्गदर्शन के अलावा हिंदी विभाग के प्राध्यापक महाविद्यालय को प्रशासन, अनुसंधान के क्षेत्र में भी उत्कृष्ट योगदान दे रहे हैं। समीक्षक, अनुवादक और लेखक के नाते इनकी पहचान बनी है। विद्यार्थियों के अध्ययन-अध्यापन के साथ ही उनके विविधोमुखी विकास के लिए स्पर्धाओं का आयोजन, चर्चासत्र आयोजन, भीत्तिपत्रक प्रकाशन, लेखन मार्गदर्शन, वार्षिकांक, पत्र-पत्रिका लेखन हेतु मार्गदर्शन, निबंध, कविता लेखन मार्गदर्शन, वक्तृत्व मार्गदर्शन आदि प्रकार के विद्यार्थी व्यक्तित्व विकास आयामों को अंजाम दिया जाता है।

  • विभागीय कार्यक्रम एवं मुख्य गतिविधियां
  1. हिंदी दिवस समारोह -14 सितंबर
  2. साहित्य सुरभि भीत्तिपत्रक प्रकाशन
  3. विशेष व्याख्यानों एवं चर्चाओं का आयोजन
  4. छात्रों के लिए विभागीय ग्रंथालय
  5. विभागीय प्रतियोगिताओं का आयोजन
  •  हिंदी भाषा और रोजगार के सुअवसर
  1. अनुसंधान का क्षेत्र।
  2. अध्यापकीय क्षेत्र।
  3. अनुवादकीय क्षेत्र।
  4. कामकाजी अनुवादक।
  5. कार्यालयों में राजभाषा अधिकारी।
  6. विभिन्न कार्यालयों में दुभाषक।
  7. हिंदी पत्रकारिता।
  8. माध्यमों में हिंदी सूत्रसंचालक।
  9. मुद्रित माध्यमों में मुद्रित शोधक।
  10. नाटक और फिल्मी जगत् में संवाद लेखक, धारावाहिक लेखन।
  11. संहिता लेखन – नाटक, फिल्म,धारावाहिक।
  12. स्पर्धा परीक्षाएं।
  13. दुभाषक।
  14. साहित्य और समीक्षा लेखन।
  15. ऍनिमेशन और डबिंग।
  16. सृजनात्मक लेखन।
  17. व्यावसायिक लेखन।
  18. हिंदी विज्ञापन लेखन।
  19. निवेदक।
  20. भाषा संचालक।
  21. संपादक – समाचार चैनल, समाचार पत्र आदि में।