अ. क्र. | प्राध्यपक / लेखक का नाम | पुस्तक का नाम | अध्याय का शीर्षक | प्रकाशक | प्रकाशन वर्ष | ISBN |
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1 | डॉ. विजय शिंदे | विवेकी राय और उनका सृजन संसार, (सं.) डॉ. मांधाता राय | समरभूमि पर डटा देहाती मसिहा : विवेकी राय, पृ. 134-138 | विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी | 2007 | ISBN 978-81-7124-559-8 |
2 | डॉ. विजय शिंदे | सवालों के सामने डॉ. विवेकी राय | देखते-देखते ही देखने की आदत पड़ गई है (विवेकी राय का साक्षात्कार) पृ. 110-120 | अनिल प्रकाशन, इलाहाबद | 2007 | ISBN 81-8227-006-5 |
3 | डॉ. विजय शिंदे | कथाकार संजीव (सं.) डॉ. गिरीश काशिद | किसनगढ़ के शोषण परंपरा की शिनाख्त, पृ. 266-273 | शिल्पायन प्रकाशन, दिल्ली | 2008 | |
4 | डॉ. विजय शिंदे | सामलगमला (समग्र कहानियां), डॉ. विवेकी राय | अपनी पृथक पहचान बनाती कहानियां, प्राकरणिकी, पृ. 5-11 | विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी | 2011 | ISBN 978-81-7124-760-8 |
5 | डॉ. विजय शिंदे | इक्कीसवीं सदी का हिंदी साहित्यः स्थिति एवं संभावनाएं | गुडिया को देखते हिंदी साहित्य का भविष्य, पृ. 1-6 | राज पब्लीशिंग हाऊस, जयपुर | 2012 | ISBN 978-93-81005-31-6 |
6 | डॉ. विजय शिंदे | जगी ऐसा बाप व्हावा : संदर्भ आणि समीक्षा, (सं.) डॉ. महेश खरात | निरक्षरता से... मुक्ति तक का अद्भुत सफर, पृ. 217-226 | संस्कृति प्रकाशन, ठाणे | 2014 | ISBN 978-93-5156-057-9 |
7 | डॉ. विजय शिंदे | अनसुनी आवाजें, (सं) डॉ. विशाला शर्मा | दलित विमर्श की कसौटी पर ‘मुर्दहिया’, पृ. 30-42 | न्यू मॅन पब्लिकेशन, परभणी | 2017 | ISBN 978-93-83871-40-7 |
8 | डॉ. विजय शिंदे | विवेकी राय की साहित्य साधना, (सं.) डॉ. चंद्रशेखर तिवारी | पुत्र शोक में विह्वल पिता की व्यथा-कथा : देहरी के पार, पृ. 111-116 | आशीष प्रकाशन, कानपुर | 2014 | ISBN 978-81-89457-95-2 |
9 | डॉ. विजय शिंदे | भाषा तथा साहित्य अनुसंधान का सामाजिक दायित्व, (सं.) डॉ. माधव सोनटक्के, डॉ. संजय नवले | साहित्यिक अनुसंधान और कलापक्ष, पृ. 59-63 | स्वराज प्रकाशन, नई दिल्ली | 2016 | ISBN 978-93-83513-92-5 |
10 | डॉ. विजय शिंदे | हिंदी साहित्यः सिनेमा और समाज (पुस्तक संकलन), (सं.) डॉ. प्रेमनाथ घोडके | अंधेरे में' फँटसी का सार्थक फिल्मांकन 'सतह से उठता आदमी, पृ. 1-10 | ज्योतिचंद्र पब्लिकेशन, लातूर, महाराष्ट्र | 2015 | ISBN 978-81-909640-9-1 |
11 | डॉ. विजय शिंदे | भारतीय समाजातील नैतिक मूल्ये, (सं.) डॉ. दिलीप खैरनार | शिक्षण, धर्म आणि नैतिकता, पृ. 188-191 | डायमंड पब्लिकेशन, पूना | 2007, 2016 | ISBN 978-81-8483-681-3 |
12 | डॉ. विजय शिंदे | उपन्यासकार संजीव किसान आत्महत्या – यथार्थ और विकल्प, (सं) डॉ. संजय नवले | ‘फांस’ से उठता सवाल : खेती से किसान मन क्यों लगाए?, पृ. 172-197 | वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली | 2018 | ISBN 978-93-87889-40-8 |
13 | डॉ. विजय शिंदे | महाराजा सयाजीराव युगपुरुष की गौरवगाथा - खंड 22 (सं.) बाबा भांड | महाराजा सयाजीराव : चरित्रसंपन्न, अनासक्त और संप्रभु राजा, (अनुवाद – मूल लेखक बाबा भांड), पृ. 370-374. | महाराजा सयाजीराव गायकवाड चरित्र साधन समिति, महाराष्ट्र शासन | 2020 | |
14 | डॉ. विजय शिंदे | विवेकी राय और उनका सृजन संसार, (सं.) डॉ. मांधाता राय | समरभूमि पर डटा देहाती मसिहा : विवेकी राय, पृ. 134-138 | विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी | 2007 | ISBN 978-81-7124-559-8 |
15 | डॉ. विजय शिंदे | हिंदी साहित्य की किसान कलम, (सं.) डॉ. चंद्रशेखर तिवारी, | शिक्षित युवा और राजनीति (विवेकी राय का लेखन संदर्भ), पृ. 42-48 | विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी, | 2013-2014 | ISBN 978-81-7124-988-6 |
16 | डॉ. रंजना चावडा | अनुवाद की भाषा एवं शब्दावली (पुस्तक) | अनुवाद क्या ? और क्यों ? | 2010 | 0976-8009 | |
17 | डॉ. रंजना चावडा | कंरट इश्यु इन एज्युकेशन ऑफ सोशल सायन्स (पुस्तक) | बाळ कामगारांचे पूर्नवसन : एक सामाजिक समस्या | Mrunmai publication | 2012 | 978-93-80039-08-4 |
18 | डॉ. रंजना चावडा | हिंदी साहित्य और सिनेमा (पुस्तक) | मानवीय संववेदनाओ की अभिव्यक्ति औरहिंदी सिनेमा | Joytichanfra publication | 2016 | 978-81909640-9-1 |
19 | डॉ. रंजना चावडा | सिग्निफिकन्स ऑफ महात्मा गांधीजी मेथडॉलॉजी इन 21 (पुस्तक) सेंन्चूरी | मानवीय संववेदनाओ की अभिव्यक्ति औरहिंदी सिनेमा | 2009 | 978-93-82588-06-1 | |
20 | डॉ. रंजना चावडा | महिला सबलीकरणकरण: समस्या एंव चुनौतियाँ (पुस्तक) | 21 वीं शती के उपन्यास साहित्य में रुढी पंरम्परा की सलाखों को तोडती नारी | Ajanta publication | 2013-14 | 978-81-9261-29-2-8 |
21 | डॉ. रंजना चावडा | कंरट इशुज इन एज्युकेशन ऍ़ण्ड सोशल सायन्स (पुस्तक)उच्च शिक्षा : और वर्तमान स्थिति | उच्च शिक्षा : और वर्तमान स्थिति | Mrunmai publication | 2015 | 978-93-80039-08-4 |
22 | डॉ. रंजना चावडा | महिला उपन्सासकार और नारी | महिला उपन्यासकारों में नारी का बदलता स्वरुप | 2011 | 978-81-9224-14-0-1 | |
23 | डॉ. रंजना चावडा | स्त्री लेखन: सृजन के विविध आयाम | प्रवासी हिंदी साहित्य और नारी चरित्र | Raj Publisation house | 2013 | 978-93-81005-74-3 |
24 | डॉ. रंजना चावडा | मानकवर्तनऔरहिंदी (पुस्तक) | कॅम्प्युटर में हिंदी की उपलब्ध सुविधाएँ एवं संभावनाएँ | Anjanta prakashan | 2013 | 978-81-921327-3-0 |
25 | डॉ. रंजना चावडा | अल्पसंख्याकों का विचार विश्व (पुस्तक) | हिंदी उपन्यासों में स्त्री विमर्श | New wasas publications | 2013 | 978-93-82504-03-0 |
26 | डॉ. रंजना चावडा | इन्टरनॅशनल इन्टरडीसीप्लीनरी कॉन्फरन्स महिला सशक्तिकरण (पुस्तक) | साहित्य में नारी | Ajanta publication | 2015 | 978-93-83-586-185 |
27 | डॉ. रंजना चावडा | थेरीज ऑफ आयडेन्टीटी इन हयुमन राईटस ऍ़ण्ड डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर थॉटस (पुस्तक) | साहित्य और समाज: कल आज और कल | Adhar publicational | 2013 | 978-93-82588-06-1 |
28 | डॉ. रंजना चावडा | BE THE CHANGE YOU WANT TO SEEIN THE WORLD: MAHATMA GANDHI | हिंदी साहित्य में गांधीवाद | Harshvardhan publication | 2017 | 978-93-85882-06-7 |
29 | डॉ. रंजना चावडा | वैश्विक पर्यावरण समस्या चूनौतियाँ एवं समाधान | पर्यावरण और संस्कृति का संकट: नई सदी की चुनौतियाँ | Ajanta publication | 2016 | 978-93-83587-35-3 |
30 | डॉ. रंजना चावडा | सृजनस्त्रीलेखन: सृजनकेविविधआयाम | हिंदी साहित्य में नारी की भूमिका | Radhe publication | 2013 | 978-1-62951-325-6 |
31 | डॉ. रंजना चावडा | Current issues in Educational of social science | माहिती तंत्रज्ञान व उच्चशिक्षण: जागतिकी करण्याचा संदर्भात नवा विचार | Mrunmayee prakshak | 2014 | 978-93-80039-08-4 |
32 | डॉ. रंजना चावडा | विमर्श | नारी चुनौतियाँ: घर और बाहेर | Money prakshan | 2016 | 978-93-84240-32-5 |
33 | डॉ. रंजना चावडा | लोक साहित्य: वैश्विक परिदृश्य | लोकोक्तियाँ कल : आज और कल (अतीत, वर्तमान,भविष्य) | Mudraprakashan | 2016 | 978-82-923487-4-2 |
34 | डॉ. रंजना चावडा | दलित बहुजन व अल्पसंख्यांक के स्त्रींची सद्य स्थितीतील दशा व दिशा | आधुनिक युग में महिला की स्थिति एवं संभावनाएं | Ajanta publication | 2017 | Genius2279-0489 |
35 | डॉ. रंजना चावडा | हिंदी साहित्येतिहास पुनर्लेखन की आवश्यकता | साहित्येतिहास लेखन का दायित्व | Vanya publication | 2020 | 978-81-493395-0-2 |
36 | डॉ. रंजना चावडा | हिंदी साहित्य में पर्यावरण चेतना के विविध आयाम | २१ वीं शती के कविता की संवेदनाएँ और जल, जंगल, जमीन | Vanya publication | 2019 | 978-81-909648-3-4 |
37 | डॉ. रंजना चावडा | हिंदी साहित्य : सिनेमा और समाज | आधुनिक संवेदनाओं की अभिव्यक्ति और हिंदी सिनेमा पृ.क्र. २१-२६ | Joytichanfra publication | 2014 | 978-81-909640-9-1 |
38 | डॉ. रंजना चावडा | सिनेमा का सौंदर्यशास्त्र | साहित्य : समाज और सिनेमा | Ajanta publication | 2016 | 978-81-9096867-7-1 |
39 | डॉ. रंजना चावडा | 150 years of Celebrating the MAHATMA Exploration of MAHATMA 150 | समकालीन ग्रामीण जीवन : गांधीजी के विचार | Harshvardhan publication | 2020 | ISSN 2319-9318 |
40 | डॉ. रंजना चावडा | 21वीं सदी में हिंदी साहित्य स्थिति एवं संभावनाएं | 21वीं सदी का उपन्यास साहित्य : स्री की सशक्त छवि | Raj Publisation house | 2012 | 978-93-81005-31-6 |
41 | डॉ. रंजना चावडा | Today's international interdisciplinary conference on women empowerment Ramkrishna Mahavidyalaya Dariyapur Amravati | इक्कीसवीं सदी के हिंदी साहित्य में स्त्री की स्थिति | Adhar publicational | 2011 | 978-81-922414-0-1 |
42 | डॉ. सुलक्षणा जाधव | Bharatiya Bhasha aur Sahitya Chintan, Ed. Deshmukh and others | Premchand Aur Aapte ke Upannyas me Amtsambandh, Pp147 | Shailaja Prakashan, Kanpur | 2017 | 978-93-80788-65-4 |
43 | डॉ. सुलक्षणा जाधव | Vaishvikaran ke Paripeksha me Madhyakalin Sant Sahitya ki Prasangikata | Vaishvikaran ke Paripeksha me Madhyakalin Sant Sahitya me Manviya Mulya, PP 120 | Atul Prakashan, Kanpur | 2017 | 978-93-80760-52-0 |
44 | डॉ. सुलक्षणा जाधव | Sanchar Madhomo me Hindi ka Pryog, Reference Book, | Electronic Madhamo me Hindi ki Bhumika, PP 141-143 | A.B.S Publications, Sarnath, Varanashi, | 2018 | ISBN 978-81-942193-4-7 |
Chapters Published in Booksdcadmin2021-11-17T10:53:16+00:00